Ahmad shah tomb बादशाह नो हजीरों इन अहमदाबाद अहमद शाह का मकबरा
अहमद शाह का मकबरा – Ahmad shah tomb Ahmad shah tomb – अहमद शाह का मकबरा, जिसे स्थानीय रूप से बादशाह नो हाजीरो या राजा का मकबरा कहा जाता है, अहमद शाह का मकबरा जामा मस्जिद की पीछे मानेक चौक के करीब स्थित है अहमद शाह के मकबरा का इतिहास – History of Ahmad Shah tomb इस मस्जिद में अहमदाबाद के संस्थापक अहमद शाह १ की समाधि है। यह उनके बेटे मुहम्मद शाह द्वितीय द्वारा बंबई गयी थी जो उनके बाईं ओर दफन है। उनके पोते कुतुब-उद-दीन अहमद शाह को उनके अधिकार में दफनाया गया है। अहमद शाह के भाई का मकबरा मुख्य कक्ष के बाहर है। अहमद शाह के…
Rani no Hajiro Ahmedabad रानी नो हजीरो गुजरात सल्तनत मुज्जफ़रीद राजवंश की रानियों की कब्रे यहाँ पर है
रानी नो हजीरो Rani no Hajiro Ahmedabad Rani no Hajiro Ahmedabad – मानेक चौक में एक तरफ बादशाह नो हजीरा ( Badshah No Hazira) है और इसके दूसरी तरफ रानी नो हजीरो है , जिसे मुगलई बीबी का मकबरा या अहमद शाह की रानी के मकबरे के रूप में भी जाना जाता है रानी नो हजीरो का इतिहास रानी नो हजीरो एक बड़े तल पर बनाया गया है इसमें जाने के लिए इसके चारो तरफ एक छोटा गलियार है जब इसमें प्रवेश करते है तो ये एक वर्गाकार खुला हुआ प्रागण है इसकी चौड़ाई लगभग ३६ मीटर है जिसके चारो तरफ एक बड़ा गलियरे है गलियारे की दीवारों पर नक्काशीदार…
Jhulta Minara झूलता मीनारा का अनसुलझा रहस्य क्या अभी भी मीनार हिलती है
Jhulta Minara झूलता मीनारा अहमदाबाद Jhulta Minara -झूलता मीनारा अहमदाबाद में भारत की प्रसिद्ध मीनार में से एक है। झूलता मीनारा (Jhulta Minara) दो हिलती मीनारों का जोड़ा है झूलता मीनारा की दोनों मीनारों के हिलने के कारण हिलती मीनार के रूप में भी जाना जाता है। जब एक मीनार को धीरे से धक्का दिया जाता है तो दूसरी मीनार में कम्पन महसूस होतोई है इसके बाबजूद की इसको जोड़ने वाला बीच के हिस्सा एकदम सिथर रहता है इन टावरों के अंदर एक सीढ़ी बनाई गई है, जिससे आप टावर के पहले हिस्से तक जा सकते हैं। अभी इन मीनारों में जाने की अनुमति नहीं है क्योंकि इन मीनारों में…
Bhadra Fort ahmedabad and भद्रा काली मंदिर का पूरा इतिहास जाने
भद्रा किला Bhadra Fort ahmedabad Bhadra Fort ahmedabad – भद्रा किला में चौदह मीनारों, आठ द्वारों और दो बड़े गेट इसे एक पेचीदा किला बनाते है यह एक वास्तुशिल्प चमत्कार है। अहमद शाह १ ने इसकी नीव १४११ रखी थी और ये १४१३ में पूरा हुआ था ये किला ४३ एकड़ में फैला हुआ था इस प्रभावशाली किले को शाही दरबार के रूप में इस्तेमाल किया जाता था इस भव्य किले में प्रवेश के लिए अहमद शाह १ ने इसके पूर्वी हिस्से में तीन द्वार नामक एक ऐतिहासिक प्रवेश द्वार बनाया गया था, जो इस किले के सामने वाले मैदान में आने के लिए मुख्या द्वार था जिसे मैदान-शाह कहा…
Ahmedabad history in hindi अहमदाबाद जाने से पहले पूरा इतिहास जाने
Ahmedabad history in hindi अहमदाबाद हिस्ट्री इन हिंदी – 11 वीं ईस्वी से पहले अहमदाबाद को आशावल के रूप में जाना जाता था। यह एक वन क्षेत्र था और साबरमती नदी यहाँ से वह रही थी। यहाँ पर भील आदिवासी लोग रहा करते थे उस समय इन आदिवासियों का सरदार का नाम आशा पल्ली था इस क्षेत्र पर उसका शासन था अन्हिलवाड़ा के चालुक्य वंश के राजा कर्ण, अन्हिलवाड़ा जिसे आज पाटन के नाम से जाना जाता है, ने 1078 में भील राजा आशा पल्ली को हरा कर यहाँ पर अधिकार कर लिया और साबरमती नदी के किनारे प्राचीन शहर कर्णावती की स्थापना की थी। चालुक्य वंश ने 11 वीं…
Walled city of ahmedabad तीन दरवाजा का पूरा इतिहास
Walled city of ahmedabad तीन दरवाजा Walled city of ahmedabad – आज मैंने अपने दिन की शुरुआत तीन दरवाजे से की है ये तीन दरवाजा मुझे काफी आकर्षित करता था क्योंकि दिन के समय दरवाजा काफी व्यस्त रहता है तो में सुबह के ७ बजे यहाँ पर आ गया हूँ मैंने पहली बार इस तीन दरवाजे बहुत करीब से देखा इस दरवाजे से मैं बहुत बार निकला था लेकिन कभी भी मुझे इस दरवाजे की विरासत महसूस नहीं हुई थी आज का दिन मेरे लिए बहुत ही अच्छा रहा और मैंने इस दरवाजे के इतिहास को समझा तो चलिए मैं आपको इस प्रसिद्ध तीन दरवाजे के बारे में बताने जा…
Bai Harir Sultani Mosque बाई हरिर सुल्तानी मस्जिद की संरचना
Bai Harir Sultani Bai Harir Sultani – दादा हरि नी वाव के ठीक पीछे बाई हरिर सुल्तानी मस्जिद और मकबरा है। यह भी लगभग 1500 ईस्वी में बनाया गया था। इसे बाई हरिर का अंतिम विश्राम स्थल कहा जाता है। इसके भीतर 5 कब्रें हैं । बाई हरिर मस्जिद अहमदाबाद में एक अत्यंत प्रतिष्ठित मस्जिद है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण बाई हरिर सुल्तानी द्वारा किया गया था जो सुल्तान बेगडा के हरम की अधीक्षक थी । मस्जिद का केंद्रीय हिस्सा या प्रार्थना क्षेत्र शिलालेख है। प्रार्थना कक्ष के केंद्र में मूर्तिकला और दीवारों के ऊपरी भाग गुजराती वास्तुकला की विशेषताओं को दर्शाते हैं। देखने का समय प्रतिदिन…
Dada hari ni vav एक बहुत ही खूबसूरत दादा हरि नी वाव इन अहमदाबाद दादा हरी नी वाव का इतिहास
Dada hari ni vav Dada hari ni vav मैं सुबह 10 बजे दादा हरिर की वाव पर पहुँच गया था । यह स्टेपवेल अहमदाबाद कालूपुर रेलवे स्टेशन से 2.6 किमी दूर है। दादा हरीर इतना लोकप्रिय नहीं है जितना कि अदलज की वाव। जब मैं वहां पर गया था तो वहां कोई भी पर्यटक नहीं था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप इस स्टेपवेल के किसी भी स्तर पर बिना किसी बाधा के देख सकते हैं। कोई भी आपको नहीं रोकेगा और आप ज्यादातर आंतरिक भाग में जा सकते हैं। आप विभिन्न स्तरों पर कई और तस्वीरें ले सकते हैं। मैं इस जगह पर जाने की सलाह देता हूं।…
Jalebi Fafda अहमदाबाद की १२० साल पुरानी बेस्ट जलेबी की दुकान
👇 Subscribe Us for travel and food videos 👇 Jalebi Fafda यदि आप जलेबी खाने को शौक़ीन है और आप अहमदाबाद में है तो चन्द्रविलास नी जलेबी रेस्टॉरेण्ट एक सही स्थान है यह रेस्टोरेंट सुबह के नाश्ते और दोपहर के भोजन के लिए भी सबसे प्रसिद्ध स्थान है। यह तीन दरवाजा पास रतन पोल के बहुत करीब है। चन्द्रविलास नी जलेबी रेस्टोरेंट में नास्ता करने का अपना एक अलग ही अनुभव है. यहाँ पर आलू की एक प्रकार की सब्जी और 8 पुरी की लागत केवल 50 रुपये है और यह एक व्यक्ति के लिए पर्याप्त है। चंद्रविलास नी जलेबी रेस्टोरेंट अपन लिगेसी क लिए भी फेमस है यह १२० साल…
Mini Poicha मिनी पोइचा वर्णिन्द्र धाम पाटडी सर्वश्रेष्ठ मंदिर इन पाटडी का रिव्यु एंड अट्रैक्शन
👇 Subscribe Us for travel and food videos 👇 Mini Poicha मिनी पोइचा वर्णिन्द्र धाम पाटडी Mini Poicha – मिनी पोइचा वर्णिन्द्र धाम पाटडी , भगवान स्वामीनारायण का एक सुंदर मंदिर है जो की वीरमगाम के पास पाटडी में स्थित है। यह वीरमगाम से 30 किमी और अहमदाबाद से 90 किमी दूर है। इस मंदिर को मिनी पोइचा के नाम से जाना जाता है। यह भगवान श्री नीलकंठधाम स्वामीनारायण का मंदिर है ऐसा ही मुख्य मंदिर वड़ोदरा के पास पोइचा में स्थित है इस मंदिर को मिनी पोइचा भी कहा जाता है इस मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है और मैंने ऐसा सुंदर मंदिर कभी नहीं देखा। प्रवेश द्वार पर पर कई…