Dada hari ni vav एक बहुत ही खूबसूरत दादा हरि नी वाव इन अहमदाबाद दादा हरी नी वाव का इतिहास
Dada hari ni vav Dada hari ni vav मैं सुबह 10 बजे दादा हरिर की वाव पर पहुँच गया था । यह स्टेपवेल अहमदाबाद कालूपुर रेलवे स्टेशन से 2.6 किमी दूर है। दादा हरीर इतना लोकप्रिय नहीं है जितना कि अदलज की वाव। जब मैं वहां पर गया था तो वहां कोई भी पर्यटक नहीं था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप इस स्टेपवेल के किसी भी स्तर पर बिना किसी बाधा के देख सकते हैं। कोई भी आपको नहीं रोकेगा और आप ज्यादातर आंतरिक भाग में जा सकते हैं। आप विभिन्न स्तरों पर कई और तस्वीरें ले सकते हैं। मैं इस जगह पर जाने की सलाह देता हूं।…
Jami Masjid गुजरात की सबसे सुन्दर मस्जिद का इतिहास इसके बारे में जरूर पढ़े
Jami Masjid Jami Masjid जब मैंने पहली बार जामी मस्जिद देखी, तो में इस मस्जिद को देख कर आश्चर्यचकित हो आया ये मस्जिद वास्तब में बहुत सुंदर है इसके साथ साथ ये unesco वैश्विक धरोहर भी है यह मस्जिद पश्चिमी भारत की सबसे बेहतरीन मस्जिदों में से एक है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का हिस्सा है। Jami Masjid इतिहास यह जामी मस्जिद चंपानेर सुल्तान बेगड़ा द्वारा 1509 में बनाया गया था। इसमें हिंदू, जैन कारीगरी और वास्तुकला का मिश्रण है। जामी मस्जिद की सतह के आभूषणों में सूरज, हीरे, मिट्टी के बर्तनों और बेलों और कमल के प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल किया जाता है। जामी मस्जिद की संरचना…
Bhandarej ki Bawdi भांडारेज की बहुत ही सुन्दर बड़ी बावड़ी का इतिहास
Bhandarej ki Bawdi Bhandarej ki Bawdi – राजस्थान के दोसा शहर से 10 किलोमीटर दूर भांडारेज गांव में एक बहुत ही सुंदर बावड़ी है भांडारेज की बावड़ी को बड़ी बावड़ी भी कहते हैं Bhandarej ki Bawdi स्थापत्य कला इस बावड़ी में पानी के तल तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है जो मुख्या प्रवेश से होते हुए नीचे तक जाती हैं इस बावड़ी में प्रवेश करते ही इसके मुख्या दरबाजे के ऊपर छतरी दार मेहराब बना हुआ है और ऐसा ही मेहराब इसके अंत वाली भवन के ऊपर बना हुआ है इस बावड़ी के चार नारों पर छतरिया बनी हुई हैं और बीच में एक मेहरा वाली में छतरी…
Chand Bawdi दुनिया की सबसे बड़ी और रहश्यमयी बावड़ी का इतिहास
Chand Bawdi Chand Bawdi – चाँद बाबड़ी राजस्थान के दौसा जिले के आभानेरी गाँव में है आभानेरी दौसा शहर से ३५ किलोमीटर के दूरी पर है चाँद बावड़ी भारत की सबसे बड़ी बावड़ी है। ये बावड़ी बड़ी होने के साथ साथ अपनी सुंदरता के लिए भी फेमस है ये बावड़ी राजश्थान का छुपा हुआ खजाना है जब पहली इस बावड़ी को मैंने देखा तो में अचंभित हो गया चाँद बावड़ी 30 मीटर गहरी है या यूँ कहिये की ये १३ मंजिला गहराई वाली बावड़ी है इसमें नीचे उतरने के लिए ३५०० सीढिया बानी हुई है इसमें तीन तरफ से दोहरी सीढिया बानी हुई है इसके एक तरफ स्तंभों पर आधारित…
हर्षत माता मंदिर आभानेरी गाँव Harshat Mata Temple abhaneri
हर्षत माता मंदिर का इतिहास हर्षत माता मंदिर के मंदिर को चाँद बावड़ी के समय में ही बनाय था इस मंदिर की निर्माण आभानेरी के राजा ने किया था यह मंदिर वास्तुकला का यह अनूठा रूप है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार ये मंदिर 7 वीं शताब्दी से बना गया था । ऐसा लगता है की ये बड़ा मंदिर था जिसे इस्लामिक सासको ने नष्ट कर दिया और लगभग १००० साल बाद मुख्या मंदिर ही यहाँ पर बचा है। इस मंदिर के उत्खनित पत्थरों को अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा चाँद बावड़ी के गलियारे में रखा गया है। चांद बाउरी पश्चिमी भारत में वास्तुकला गतिविधि के वर्तमान का एक महत्वपूर्ण…
Jal Mahal ka itihas Jaipur जल महल का मुख्या आकर्षण
Jal Mahal ka itihass Jal Mahal ka itihass जल महल गुलाबी शहर जयपुर में स्थित झील में बना हुआ एक महल है। ऐसा माना जाता है कि महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने 1799 में इस खूबसूरत जल महल का निर्माण करवाया था। 18 वीं शताब्दी में अमर के महाराजा जय सिंह द्वितीय द्वारा महल और इसके चारों ओर की झील का जीर्णोद्धार और विस्तार किया गया था। जल महल कब देखे ये महल जयपुर के सर्वश्रेष्ठ महलों में से एक है। यदि आप जयपुर जा रहे हों तो आपको इस महल को जरूर देखना चाहिए। हम शाम को वहाँ पहुँचे। महल का प्रवेश स्थायी रूप से बंद है। महल मुख्य…
Hawa Mahal हवा महल का पूरा इतिहास जाने प्रवेश शुल्क और देखने का समय
Hawa Mahal – Palace of winds Hawa Mahal एक आइकोनिक वास्तुकला है जो गुलाबी नगरी जयपुर शहर में बड़ी चौपड़ पर है ये प्रतिष्ठित महल अपने हनीकांब वास्तुशिल्प के लिए बहुत ही प्रसिद है इस वास्तुशिल्प की विशेषता ये है की ये ठंडी हवा को महल में गुजरने देता है जो गर्मियों में इस महल के तापमान को सुखद बनती है हवा महल का इतिहास Hawa Mahal का निर्माण कछवाहा राजपूत महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा वर्ष 1799 में किया गया था जो सवाई मान सिंह के पोते थे इस वास्तुकला की प्रेरणा महाराज प्रताप सिंह को झुंझुनू के खेतड़ी महल से मिली थी इसके वास्तुकार लालचंद उस्ताद थे जिसकी…
Amer ka kila इस किले का पूरा इतिहास जाने प्रवेश शुल्क और देखने का समय
Amer ka kila Amer ka kila – आमेर का किला जो जयपुर से १० किलोमीटर दूर आमेर मे है यह किला जयगढ़ किले की तरह अरावली पहाड़ी बना हुआ है ये किला भारत के सबसे सुन्दर किलो मे से एक है इसको आमेर पैलेस भी कहते है आमेर पैलेस UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है आमेर किले का निर्माण 967 ईसवी में चंदा वंश के राजा एलन सिंह ने किया था 11वीं शताब्दी में कछवाहा राजपूतों ने इसके ऊपर अपना अधिकार कर लिया था 16 शताब्दी में राजा मान सिंह ने इस किले को दोबारा बनवाना शुरू किया जिसको जयसिंह प्रथम ने पूरा किया इस किले का विस्तार डेढ़…
Jaigarh Fort का इतिहास जयगढ़ फोर्ट प्रवेश शुल्क और देखने का समय
Jaigarh Fort Jaigarh Fort का निर्माण सवाई जयसिंह -2 ने करवाया था इस किले को बनाने में विभिन्न शासकों का योगदान रहा वास्तव में इस किले का निर्माण 11वीं शताब्दी से शुरू करके 18वीं सावधि के मध्य तक चलता रहा जयगढ़ किला जयपुर से 10 किलोमीटर दूर अरावली पहाड़ी पर चील के टीले पर बना हुआ है यहां से जयपुर शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है इस किले के अंदर लक्ष्मी विलास ललित मंदिर और आराम मंदिर बने हुए हैं यह एक बहुत ही बड़ा किला है जिसको आमेर महल और जयपुर की सुरक्षा के लिए बनाया गया था इस किले को विजयदुर्ग भी कहते हैं जयबाण तोप यह…
Kushalgarh कुशलगढ़ का किला करन अर्जुन फिल्म सीन लोकेशन
Kushalgarh का किला अलवर दोस्तों आज मैं आया हूं कुशलगढ़ का किला देखने के लिए। कुशलगढ़ अपनी कचोरी और कलाकंद के लिए बहुत ही फेमस है यहां की कचोरी को कढ़ी के साथ खाने का मजा ही कुछ और है इसके आलावा कलाकंद के लिए ये एरिया बहुत ही प्रसिद्द है Kushalgarh किले को देखने से पहले कुशलगढ़ चौक पर कन्हैया रेस्टोरेंट है मैंने यहां पर मैंने नाश्ता किया है जी मुझे बहुत पसंद आया अभी मैं अभी मैं जा रहा हूं कुशलगढ़ फोर्ट देखने के लिए जो यहां से 1 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटी सी पहाड़ी पर है कुशलगढ़ का किला बहुत ही छोटा है जब मैंने…