Bhartari dham भरतरी बाबा धाम अलवर |भरतरी बाबा की कथा Bhartari baba dham ke darshan famous dham in alwar
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भरतरी बाबा धाम Bhartari dham
Bhartari dham – भरतरी धाम अलवर शहर से ३० कम दूर सरिस्का नेशनल पार्क में है ये बहुत ही प्रशिद धाम है भरतरी धाम का नाथ सम्प्रदाय और योगियों के लिए काफी महत्व हैं यहाँ पर भरतरी बाब का मेला भी लगता है जो अलवर जिले में बहुत ही फेमस है भरतरी धाम सरिस्का के जंगल में है इस धाम में प्रवेश करने से पहले आपको नील गाय और बन्दर काफी मात्रा में दिखाई देते है
भरतरी बाबा की कथा -Bharthari baba ki katha Bhartari dham
एक समय श्री गुरु गोरखनाथ जी अपने शिष्यों के साथ भ्रमण करते हुए उज्जैयिनी (वर्तमान में उज्जैन) के राजा श्री भर्तृहरि महाराज के दरबार मे पहुंचे। राजा भर्तृहरि ने गुरु गोरखनाथ जी का भव्य स्वागत और अपार सेवा की। राजा की सेवा से श्री गुरु गोरखनाथ जी अति प्रसन्न हुए
गोरखनाथ जब अपने शिष्यों के साथ जाने लगे तो राजा ने उनको श्रद्धापूर्ण नमन और प्रणाम किया। गोरखनाथ उसके अभिवादन से बहुत ही गदगद हो गए। तभी उन्होने झोले में से एक फल निकाल कर राजा को दिया और कहा यह अमरफल है। जो इसे खा लेगा, वह कभी बूढ़ा नही होगा, कभी रोगी नही होगा, हमेशा जवान व सुन्दर रहेगा। इसके बाद गुरु गोरखनाथ तो अलख निरंजन कहते हुए अज्ञात प्रदेशों की यात्रा के लिए आगे बढ़ गए।
उनके जाने के बाद राजा ने अमरफल को एक टक देखा, उन्हें अपनी पत्नी से विशेष प्रेम था, इसलिए राजा ने विचार किया कि यह फल मैं अपनी पत्नी को खिला दूं तो वह सुंदर और सदाजवान रहेगी। यह सोचकर राजा ने वह अमरफल रानी को दे दिया और उसे फल की विशेषता भी बता दी। लेकिन अफसोस! उस सुन्दर रानी का विशेष लगाव तो नगर के एक कोतवाल से था। इसलिए रानी ने यह अमरफल कोतवाल को दे दिया और इस फल की विशेषता से अवगत कराते हुए कहा कि तुम इसे खा लेना.
इस अद्भुत अमरफल को लेकर कोतवाल जब महल से बाहर निकला, तो सोचने लगा कि रानी के साथ तो मुझे धन-दौलत के लिए झूठ-मूठ ही प्रेम का नाटक करना पड़ता है, इसलिए यह फल खाकर मैं भी क्या करूंगा। कोतवाल ने सोचा कि इसे मैं अपनी परम मित्र राजनर्तकी को दे देता हूं, वह कभी मेरी कोई बात नहीं टालती और मुझ पर कुर्बान रहती है।
उसने वह अमरफल अपनी उस नर्तकी मित्र को दे दिया। राज नर्तकी ने कोई उत्तर नहीं दिया और अमरफल अपने पास रख लिया। कोतवाल के जाने के बाद उसने सोचा कि कौन मूर्ख यह पापी जीवन लंबा जीना चाहेगा। मैं अब जैसी हूं, वैसी ही ठीक हूं। लेकिन हमारे राज्य का राजा बहुत अच्छा है।
यह सोचकर उसने किसी प्रकार से राजा से मिलने का समय लिया और एकांत में उस अमरफल की विशेषता सुना कर उसे राजा को दे दिया और कहा, ‘महाराज! आप इसे खा लेना क्योंकि आपका जीवन हमारे लिए अनमोल है।’ राजा फल को देखते ही पहचान गए और सन्न रह गए। गहन पूछताछ करने से जब पूरी बात मालूम हुई, तो राजा को उसी क्षण अपने राजपाट सहित रानियों से विरक्ति हो गयी।
इस संसार की मायामोह को त्याग कर भर्तृहरि वैरागी हो गए और राज-पाट छोड़ कर गुरु गोरखनाथ की शरण में चले गए। उसके बाद ही उन्होंने वहीं वैराग्य पर 100 श्लोक लिखे, जो कि वैराग्य शतक के नाम से प्रसिद्ध हैं। उससे पहले अपने शासनकाल में वे श्रृंगार शतक और नीति शतक नामक दो संस्कृत काव्य लिख चुके थे।
भरथरी बाबा का मेला कब Bharthari baba ka mela 2021 Date
भर्तृहरि का मेला राजस्थान के अलवर जिले में प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भरता है ये भरने वाला भर्तृहरि बाबा का मेला इस बार 9 सितंबर को भरेगा। इस दिन ज्योत देकर मन्नत मांगी जाएगी
भरतरी धाम को देखने का समय -Bhartari dham
भरतरी धाम मंदिर में सुबह ६ से शाम ७ बजे तक आप दर्शन कर सकते है
भरतरी धाम कब जाये
भरतरी धाम को देखने के लिए बेस्ट समय अक्टूबर से मार्च है कयोंकि इस मौसम में तापमान अनुकूल रहता है
भर्तरि धाम वीडियो – Bharthari baba ka video
भरतरी बाबा की फोटो Bhartari baba ki photo
भरतरी बाबा धाम मंदिर की दूरी
अलवर से भर्तरि की दूरी Alwar to Bharthari distance
अलवर से भर्तरि बाबा मंदिर ( जो की सरिस्का जंगल में इन्दोक के पास ही) की दूरी ३७.६ किलोमीटर है जिसे आप ५५ मिनट में पूरा कर सकते है
जयपुर से भरतरी अलवर की दूरी jaipur to bharthari alwar distance
जयपुर से भर्तरि बाबा मंदिर ( जो की सरिस्का जंगल में इन्दोक के पास ही) की दूरी 100 किलोमीटर है जिसे आप 2 घंटे 20 मिनट में पूरा कर सकते है
भरतरी धाम Nevigation
भरतरी बाबा के भजन Bharthari baba ka bhajan
https://gaana.com/song/baba-bharthari-ji
भरतरी धाम के पास फेमस टूरिस्ट स्थान
Pandupol हनुमान मंदिर सरिस्का जंगल की पूरी यात्रा पढ़े
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Bharthari baba ki jai
jai bhartari baba ki
Baba bhratri ke bare me galat likha he ki unhone apni patni ke karan jogi ban gaye balki wo gurugorkhnath ke chamtkar se prabhvit hokar jogi ban gaye the
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